| जॉफ्री हिंटन (जिन्हें "गॉडफादर ऑफ एआई" कहा जाता है) की बातें बहुत गंभीर संकेत देती हैं। उन्होंने जो चेतावनियां दी हैं, उन्हें तीन बड़े हिस्सों में समझा जा सकता है
1. नौकरियों पर खतरा
⦿ सबसे तेज असर → दोहराव वाली और शुरुआती लेवल की जॉब्स (जैसे कस्टमर सपोर्ट, डेटा एंट्री, एंट्री-लेवल लीगल रिसर्च, कंटेंट जेनरेशन)
⦿ नए ग्रेजुएट्स पर दबाव → एंट्री-लेवल नौकरियां पहले से ही कम हो रही हैं, अब एआई उन्हें और तेजी से रिप्लेस कर सकता है।
⦿ हेल्थकेयर भी अछूता नहीं → एआई इलाज सस्ता और तेज बनाएगा, लेकिन डॉक्टर-नर्स पर नया बोझ भी डालेगा।
2. पूंजीवाद और असमानता
⦿ अमीर वर्ग एआई से मुनाफा तो बढ़ाएगा, लेकिन फायदा समाज से साझा नहीं करेगा।
⦿ इसका मतलब होगा कि कुछ लोग बहुत अमीर बनेंगे और बाकी लोग नौकरी और जीने की लड़ाई में फंसे रहेंगे।
⦿ यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) भी पूरा समाधान नहीं है, क्योंकि काम इंसान को पहचान और उद्देश्य देता है।
3. इंसानियत पर खतरा
⦿ हिंटन का कहना है कि 10–20% संभावना है कि एआई मानव सभ्यता के लिए सीधा खतरा बन सकता है।
⦿ खतरा सिर्फ नौकरियों का नहीं बल्कि ऑटोनॉमस हथियारों, बायोवेपन्स और सुपरइंटेलिजेंट सिस्टम्स से भी है।
⦿ रेगुलेशन की स्पीड एआई की प्रगति से बहुत पीछे है। अमेरिका ढीला है, चीन ज्यादा सतर्क दिखता है।
⦿ हिंटन ने साफ कहा: “हम आग से खेल रहे हैं।”
➨ हिंटन का मानवीय पहलू
⦿ वे खुद एआई का इस्तेमाल रिसर्च और रोजमर्रा की जिंदगी में करते हैं।
⦿ उन्होंने 2023 में गूगल छोड़ा ताकि अपनी चिंताओं पर खुलकर बोल सकें।
⦿ उनका मानना है कि एआई बहुत अच्छा भी कर सकता है और बहुत बुरा भी – यह इंसानों पर है कि हम इसे किस दिशा में ले जाते हैं।
➥ कुल मिलाकर, हिंटन यह कह रहे हैं कि एआई से रोजगार, असमानता और मानव अस्तित्व – तीनों पर खतरा है। समाधान सिर्फ रेगुलेशन, नैतिकता और जिम्मेदार कॉर्पोरेट व्यवहार में है।
